Option Trading kya hotee hai | ऑप्शन ट्रेडिंग क्या होती है

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Option Trading in Hindi | ट्रेडिंग क्या होती है | ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करे 

 

यूटिलिटी डेस्क. हेजिंग की सुविधा पाते हुए अगर आप मार्केट में इनवेस्टमेंट करना चाहते हैं तो फ्यूचर ट्रेडिंग के मुकाबले ऑप्शन ट्रेडिंग सही चुनाव होगा। ऑप्शन में ट्रेड करने पर आपको शेयर का पूरा मूल्य दिए बिना शेयर के मूल्य से लाभ उठाने का मौका मिलता है। ऑप्शन में ट्रेड करने पर आप पूर्ण रूप से शेयर खरीदने के लिए आवश्यक पैसों की तुलना में बेहद कम पैसों से स्टॉक के शेयर पर सीमित नियंत्रण पा सकते हैं।

1) बीमा कवर प्रतिभूति के मूल्यों में उतार चढ़ाव से करते हैं सुरक्षा

Option Trading ऑप्शन ट्रेडिंग के दौरान कुछ प्रीमियम चुकाकर नुकसान का बीमा कवर भी लिया जा सकता है। ये बीमा कवर किसी निश्चित प्रतिभूति के मूल्यों में उतार चढ़ाव से आपकी सुरक्षा करते हैं। यह बिल्कुल उसी तरह होता है जैसे कार इंश्योरेंस लेने के बाद उसमें स्क्रेच आने, चोरी हो जाने या एक्सीडेंट हो जाने पर बीमा कंपनी नुकसान की भरपाई करती है। आसान शब्दों में कीमतों में उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए ऑप्शन अच्छा विकल्प है।

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वायदा कारोबार में आप 30 हजार के भाव पर गोल्ड की एक लॉट खरीदते हैं, लेकिन सोने का भाव 1000 रुपए टूट जाता है और 29 हजार तक आ जाता है। ऐसी स्थिति में एक लॉट पर आपको एक लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ता है। वहीं, ऑप्शन ट्रेडिंग में अगर आपने कॉल ऑप्शन खरीदा है तो 50 रुपए प्रति दस ग्राम के हिसाब से प्रीमियम चुकाने पर यह नुकसान घटकर सिर्फ 5000 रुपए तक रह जाता है।

फ्यूचर बाजार में हेजिंग का टूल नहीं है यानी इसमें सौदे को ओपन (खुला) छोड़ते हैं या फिर स्टॉपलॉस लगाते हैं। स्टॉपलॉस लगाने पर उस स्तर पर सौदा खुद ही कट जाता है, लेकिन नुकसान जरूर होता है। स्टॉपलॉस न लगाया तो नुकसान ज्यादा होता है, जबकि पुट ऑप्शन में खरीदे हुए सौदे को हेज कर सकते हैं। इसी तरह बिके हुए सौदे को कॉल ऑप्शन के जरिए नुकसान की सीमा को बांध सकते हैं।

शेयर बाजार में वायदा अनुबंधों के दौरान किसी कंपनी के शेयरों में निवेश किए गए भावों में अचानक गिरावट दर्ज की जाने लगे, तो ऐसी विपरीत परिस्थितियों से बचने के लिए हेजिंग का उपयोग किया जाता है। यह काम काउंटर बैलेंसिंग के जरिये किया जाता है यानी एक निवेश की हेजिंग के लिए दूसरा निवेश किया जाता है। दूसरे शब्दों में, हेजिंग दो ऐसे निवेश विकल्पों में निवेश के जरिये किया जाता है, जिनमें नकारात्मक सहसंबंध होता है।

ऑप्शन दो प्रकार के होते हैं।Option Trading

call Option kya hota hai 

  • कॉल ऑप्शन: कॉल ऑप्शन ऐसा अनुबंध है जो निवेशक को एक निश्चित समय सीमा के भीतर निश्चित कीमत पर एक परिसंपत्ति में कॉल खरीदने का अधिकार देता है। पहले से तय कीमत को स्ट्राइक प्राइस कहा जाता है, जिसे समाप्ति तिथि के रूप में जाना जाता है। कॉल ऑप्शन आपको 100 शेयर खरीदने की अनुमति देता है। अनुबंध की अवधि समाप्त होने से पहले आप लाभ या हानि पर कॉल ऑप्शन बेच सकते हैं। सामान्यतः इसका इस्तेमाल तब होता है जब निवेशक को लगता है कि किसी कमोडिटी में तेजी पर दांव लगाना चाहिए। इसमें प्रीमियम भरना होता, जहां निवेशक का अधिकतम नुकसान होता है।

put Option  kya hota hai 

  • पुट ऑप्शन: पुट ऑप्शन कॉल ऑप्शन के विपरीत है, यह धारक को शेयर खरीदने का अधिकार देता है। पुट ऑप्शन समापन दिनांक या उसके पहले स्ट्राइक मूल्य पर धारक को अंतर्निहित शेयर बेचने का अधिकार प्रदान करते हैं। इसका इस्तेमाल तब होता है जब निवेशक को लगता है कि बाजार में आगे मंदी के आसार हैं। ऐसे में वह अपनी जरूरत के मुताबिक या तो बाजार से एग्जिट करता है, या ज्यादा खरीदी करता है।
  • कमोडिटी मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करने के लिए सबसे पहले ट्रेडिंग अकाउंट होना जरूरी है। अगर पहले से ही फ्यूचर बाजार में खाता है तो अपने ब्रोकर को ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए सहमति पत्र देना होगा।
  • इस अकाउंट के जरिए ही निवेशक कमोडिटी एक्सचेंज में फ्यूचर या ऑप्शन में किसी सौदे की खरीद या बिक्री कर सकते हैं। अगर नया खाता खुलवा रहे हैं तो फ्यूचर की तरह ऑप्शन में कारोबार के लिए अलग से फार्म भरना पड़ेगा।
  • जिस ब्रोकर के जरिए ट्रेडिंग अकाउंट खोला जा रहा है, उसका मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) और नेशनल डेरेवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईक्स) का सदस्य होना जरूरी है। साथ ही बाजार में ब्रोकर की ठीक-ठीक पहचान भी होनी चाहिए।

 

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